"दैवे च मानुषे चैव संयुक्तं लोककारणम्"
(महाभारत, उद्योगपर्व ७७/४)
संसार में समान रूप से दैव अर्थात् भाग्य और पुरुषार्थ दोनों पर जीवन निर्भर करता है ।
"दैवे च मानुषे चैव संयुक्तं लोककारणम्"
(महाभारत, उद्योगपर्व ७७/४)
संसार में समान रूप से दैव अर्थात् भाग्य और पुरुषार्थ दोनों पर जीवन निर्भर करता है ।