बुधवार, 21 जून 2017

सूक्तयः

(१.) "मतिरेव बलाद् गरीयसी ।"
बल से अधिक बुद्धि श्रेष्ठ है ।

(२.) "भवितव्यानां द्वाराणि भवन्ति सर्वत्र ।" (अभिज्ञानशाकुन्तलम्--१.१६)
होनी के लिए सब द्वार खुले रहते हैं ।

(३.) "बुद्धिर्यस्य बलं तस्य ।" (चाणक्य-नीतिः--१०.१६)
जिसके पास बुद्धि है उसके पास बल है ।

(४.) "भवितव्यता खलु बलवती ।" (अभिज्ञानशाकुन्तलम्--६.८)
होनहार बलवान् है ।

(५.) "मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना ।"
हर व्यक्ति की मति भिन्न होती है ।

(६.) "अवश्यम्भाविनो भावा भवन्ति महतामपि ।" (हितोपदेशः )
होनी बहुत बडी बलवान् है ।

(७.) "बुद्धिः ज्ञानेन शुध्यति ।" (मनुस्मृतिः--)
बुद्धि ज्ञान से शुद्ध होती है ।

(८.) "उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमैः । (हितोपदेशः--१.१७२)
जो काम उपाय (विवेक) से हो सकता है, वह पराक्रम से नहीं ।

(९.) "ऋते ज्ञानात् न मुक्तिः ।"
ज्ञान बिना मुक्ति नहीं है ।

(१०.) "क्लेशः फलेन हि पुनर्नवतां विधत्ते ।" (कुमारसम्भवम्--५.८६) कार्य करने पर यदि फल भी मिल जाए तो सारे कष्ट और क्लेश भूल जाते हैं ।
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