बुधवार, 12 अगस्त 2020

भाग्य और पुरुषार्थ


"दैवे च मानुषे चैव संयुक्तं लोककारणम्"
(महाभारत, उद्योगपर्व ७७/४)



संसार में समान रूप से दैव अर्थात् भाग्य और पुरुषार्थ दोनों पर जीवन निर्भर करता है ।

योगाचार्य डॉ. प्रवीण कुमार शास्त्री