"दैवे च मानुषे चैव संयुक्तं लोककारणम्" (महाभारत, उद्योगपर्व ७७/४)
संसार में समान रूप से दैव अर्थात् भाग्य और पुरुषार्थ दोनों पर जीवन निर्भर करता है ।
योगाचार्य डॉ. प्रवीण कुमार शास्त्री